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महिषासुर पर भी संसद में महाभारत जरुरी है क्या…?

संबोधन
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संदीप कुमार मिश्र: कहते हैं विवाद बढ़ाने के लिए किसी विषय की जरुरत नहीं होती,कुछ भी बोल दिजिए,कैसे भी बोल दिजिए…क्योंकि विषयांतर होकर बोलने के लिए किसी सार्थक मुद्दे की जरुरत नहीं होती।ध्यान भटकाने के लिए किसी की भी भावना को आघात पहुंचाया जा सकता है ,ठेस पहुंचाया जा सकता है।ऐसे भी कहते हैं कि हमारे देश में अभिव्यक्ति की आजादी है! संविधान में अधिकार मिला हुआ है कुछ भी बोलने का…जिसका परिणाम है किसी गांव दिहात…जंगल कंदराओं को तो छोड़ ही दिजिए…देश की राजधानी दिल्ली में ही देश विरोधी नारे लगाए जाते हैं…और अफजल गुरु जैसे देशद्रोहीयों का समर्थन किया जाता है…क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी जो है !अब साब नारों की सियासत और तथाकथित बुद्धिजिवीयों को कौन कहे कि राम…कृष्ण और परमहंस की धरती पर आद्य शक्ति जगत जननी मां जगदम्बा पर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया जाएगा तो हंगामा तो होगा ही…।read more..

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